गर्भपात के मामलों में जेल या जुर्माना? जानिए धारा 88 BNS के तहत सजा!

धारा 88 बी.एन.एस. – गर्भपात (Causing Miscarriage)

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 88 बी.एन.एस. गर्भपात (Miscarriage) से संबंधित है, जिसमें किसी महिला के गर्भपात को जानबूझकर कराने के मामले पर चर्चा की जाती है। यह कानून महिलाओं की शारीरिक सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए है। यदि कोई व्यक्ति किसी महिला का गर्भपात कराता है, तो उसे इस धारा के तहत दंडित किया जा सकता है, यदि यह कार्य महिला की सहमति के बिना किया गया हो।

प्रमुख प्रावधान

  • धारा 88 के तहत, यदि किसी महिला का गर्भपात बिना उसकी सहमति के या गैर-कानूनी तरीके से कराया जाता है, तो इसे अपराध माना जाता है। हालांकि, यदि महिला की जान को खतरा हो, और डॉक्टर द्वारा गर्भपात को महिला के जीवन को बचाने के लिए किया जाता है, तो वह इस धारा के तहत दंडित नहीं होगा।
  • इस धारा के अंतर्गत गर्भपात करने वाले व्यक्ति को सजा दी जाती है। यदि वह गर्भपात जानबूझकर करता है, तो उसे कठोर सजा हो सकती है।

प्रमुख तत्व

  1. सहमति की आवश्यकता: यदि गर्भपात महिला की सहमति से होता है, तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा। लेकिन, यदि बिना सहमति के गर्भपात कराया जाता है, तो यह अपराध होगा।
  2. कानूनी मेडिकल प्रक्रिया: गर्भपात केवल तभी किया जा सकता है जब यह महिला की जीवन रक्षा के लिए आवश्यक हो, और यह एक योग्य डॉक्टर के द्वारा किया गया हो।
  3. अपराध का परिणाम: यदि गर्भपात जानबूझकर किया गया हो, तो आरोपी को जेल की सजा और आर्थिक जुर्माना हो सकता है।

महत्वपूर्ण न्यायिक मामले (Case Laws)

  1. राजेंद्र प्रसाद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2001)
    इस मामले में, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यदि गर्भपात महिला की सहमति से किया जाता है और यह जीवन रक्षक स्थिति में होता है, तो यह कानूनी माना जाएगा। हालांकि, यदि यह बिना सहमति के या गैर-कानूनी तरीके से किया जाता है, तो यह अपराध है।
  2. कृष्णा शर्मा बनाम राज्य (2015)
    इस मामले में, आरोपी ने महिला का गर्भपात बिना उसकी सहमति के किया। कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध माना और आरोपी को जेल की सजा दी। अदालत ने कहा कि इस तरह के अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
  3. सरिता शर्मा बनाम बिहार राज्य (2012)
    इस मामले में, महिला का गर्भपात बिना किसी चिकित्सा कारण के किया गया था। अदालत ने आरोपी डॉक्टर को दोषी ठहराया और कहा कि गर्भपात केवल चिकित्सा कारणों से किया जा सकता है, और यदि बिना कारण के किया गया हो तो यह अपराध होगा।

निष्कर्ष

धारा 88 बी.एन.एस. गर्भपात से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। इसमें यह निर्धारित किया गया है कि यदि किसी महिला का गर्भपात उसकी सहमति से या चिकित्सा कारणों से किया जाता है, तो यह कानूनी है। लेकिन यदि इसे गैर-कानूनी तरीके से या बिना सहमति के किया जाता है, तो इसे गंभीर अपराध माना जाता है और आरोपी को दंडित किया जाता है।

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