आपकी बेटी की सुरक्षा के लिए जानिए दहेज मृत्यु पर सबसे कठोर कानून! क्या है धारा 80 BNS?

भारतीय कानून में दहेज मृत्यु को एक गंभीर अपराध माना गया है और इसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304B और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 113B के तहत अपराध की श्रेणी में रखा गया है। दहेज मृत्यु का तात्पर्य एक ऐसी मृत्यु से है जो शादी के सात साल के भीतर एक महिला की असामान्य परिस्थितियों में होती है, और यह पाया जाता है कि मृत्यु से पहले उसे दहेज की मांग के लिए प्रताड़ित किया गया था।

दहेज मृत्यु का महत्व और उद्देश्य

धारा 304B और BNS की धारा 80 का उद्देश्य दहेज के कारण होने वाली महिलाओं की असमय मृत्यु को रोकना है। इसमें यह प्रावधान किया गया है कि यदि महिला की असामान्य परिस्थितियों में मृत्यु होती है, तो यह मान लिया जाएगा कि उसकी मृत्यु उसके पति या ससुराल वालों द्वारा दहेज की मांग के कारण हुई है।

प्रमुख प्रावधान और शर्तें

  1. मृत्यु का प्रकार: दहेज मृत्यु का मामला तभी बनेगा जब महिला की मृत्यु असामान्य या संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई हो, जैसे आत्महत्या या जल कर मरना।
  2. विवाह की अवधि: यह मृत्यु विवाह के सात साल के भीतर हुई होनी चाहिए।
  3. दहेज के लिए प्रताड़ना: मृत्यु से पहले महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया हो।

महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले (महत्वपूर्ण केस लॉ)

  1. सतीश चंद्रा बनाम बिहार राज्य
    इस मामले में, उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि महिला की मृत्यु दहेज की मांग के लिए प्रताड़ना के कारण हुई है, तो यह अपराध साबित होता है। इस मामले में आरोपियों को दोषी पाया गया और कठोर सजा दी गई।
  2. केशव खरे बनाम मध्य प्रदेश राज्य
    इस मामले में, पति और ससुराल पक्ष ने महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित किया और उसकी असामान्य परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। न्यायालय ने आरोपियों को दोषी करार दिया और यह फैसला सुनाया कि दहेज मृत्यु के मामलों में मजबूत सबूत के बिना भी प्रताड़ना और मौत के संबंध को स्थापित किया जा सकता है।
  3. श्याम लाल बनाम हरियाणा राज्य
    इस मामले में न्यायालय ने कहा कि यदि किसी महिला को विवाह के बाद लगातार दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया है और उसकी मृत्यु असामान्य परिस्थितियों में हुई है, तो इस परिस्थिति में आरोपियों पर धारा 80 के तहत कार्यवाही होनी चाहिए।

निष्कर्ष

धारा 80 और दहेज मृत्यु के मामलों का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को दहेज उत्पीड़न से सुरक्षा देना है।

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