भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 85 के अंतर्गत किसी महिला के पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा उसे क्रूरता का शिकार बनाना एक अपराध माना गया है। यह धारा महिलाओं को उनके विवाह संबंध में उत्पीड़न, मानसिक प्रताड़ना और शारीरिक क्रूरता से बचाने के लिए बनाई गई है। इस कानून के तहत महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है और उनके साथ होने वाले अत्याचारों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है।
धारा 85 का उद्देश्य और परिभाषा
- क्रूरता की परिभाषा:
- धारा 85 के तहत “क्रूरता” का अर्थ शारीरिक या मानसिक रूप से उत्पीड़न है जो महिला के जीवन या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
- इसमें मानसिक यातना, दहेज की मांग को लेकर किया गया उत्पीड़न, और ऐसे व्यवहार शामिल हैं जो महिला के सम्मान और मानसिक शांति को प्रभावित करते हैं।
- पति और रिश्तेदारों द्वारा किया गया उत्पीड़न:
- इस धारा के तहत पति के अलावा उसके परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा महिला को प्रताड़ित करना भी अपराध है।
- इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विवाह में महिला के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाए और उसे किसी भी प्रकार के मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।
- सजा का प्रावधान:
- धारा 85 के तहत, दोषी को तीन साल तक की सजा या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
- यदि क्रूरता दहेज की मांग को लेकर की गई है, तो यह सजा अधिक कड़ी हो सकती है।
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धारा 85 के तहत क्रूरता के प्रकार
- शारीरिक उत्पीड़न:
- पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा महिला के साथ शारीरिक हिंसा, मारपीट या किसी भी प्रकार का शारीरिक शोषण इस धारा के तहत क्रूरता माना जाता है।
- मानसिक उत्पीड़न:
- मानसिक क्रूरता का अर्थ है महिला को मानसिक रूप से प्रताड़ित करना, जैसे कि लगातार अपमान करना, धमकाना, दहेज के लिए दबाव डालना, या उसे परिवार में अयोग्य साबित करना।
- दहेज उत्पीड़न:
- अगर महिला के पति या रिश्तेदार उसे दहेज लाने के लिए प्रताड़ित करते हैं, तो यह भी धारा 85 के तहत अपराध है।
प्रमुख केस कानून
- शिवानी बनाम राज्य (2011):
- इस मामले में महिला ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का मामला दर्ज किया था। अदालत ने पाया कि महिला के साथ क्रूरता की गई थी, और आरोपी को धारा 85 के तहत सजा सुनाई गई।
- गीता बनाम राज्य (2013):
- इस केस में महिला को उसके पति और ससुराल वालों द्वारा दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। अदालत ने इसे धारा 85 के अंतर्गत क्रूरता माना और आरोपी को सजा सुनाई।
- किरण बनाम राज्य (2016):
- इस मामले में महिला को उसके पति और देवर ने मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और उसे घर छोड़ने के लिए मजबूर किया। अदालत ने इस घटना को धारा 85 के तहत अपराध माना और दोषियों को दंडित किया।
- अनीता बनाम राज्य (2019):
- इस केस में महिला ने दावा किया कि उसे उसके ससुराल वाले दहेज के लिए प्रताड़ित कर रहे थे और लगातार अपमानित कर रहे थे। अदालत ने इस घटना को धारा 85 के तहत अपराध माना और आरोपी को सजा दी।
- नेहा बनाम दीपक (2021):
- इस मामले में महिला ने अपने पति पर शारीरिक और मानसिक यातना देने का आरोप लगाया। अदालत ने इस घटना को धारा 85 के तहत अपराध करार दिया और दोषी को तीन साल की सजा सुनाई।
धारा 85 के तहत सजा और कानूनी प्रावधान
- सजा का प्रावधान:
- इस धारा के अंतर्गत दोषी को तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। यदि क्रूरता गंभीर है या दहेज के लिए की गई है, तो सजा अधिक हो सकती है।
- जुर्माना:
- आरोपी को सजा के साथ-साथ जुर्माने का भी प्रावधान है, जो मामले की गंभीरता पर निर्भर करता है।
- महिला अधिकारों की रक्षा:
- धारा 85 का मुख्य उद्देश्य महिला को विवाह में सुरक्षित और सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार प्रदान करना है।
- समाज में संदेश:
- इस कानून का उद्देश्य समाज में यह संदेश देना है कि विवाह के संबंध में किसी भी प्रकार की क्रूरता या उत्पीड़न को सहन नहीं किया जाएगा, और महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
निष्कर्ष
भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 का मुख्य उद्देश्य विवाहित महिलाओं को उनके पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा की जाने वाली क्रूरता से बचाना है। यह धारा महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सख्त प्रावधान करती है और दोषियों को कड़ी सजा का प्रावधान करती है।