भारतीय कानून के तहत किसी महिला का अपहरण, बहकाना या उसे किसी भी प्रकार से विवाह के लिए मजबूर करना एक गंभीर अपराध माना गया है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 366 में इसका उल्लेख किया गया है। इस अपराध का उद्देश्य महिलाओं को उनके सम्मान और स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करना है। धारा 87 BNS के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध शादी के लिए मजबूर करना या उसे किसी अवैध कार्य में लिप्त करना कानूनी रूप से दंडनीय है।
धारा 87 के प्रमुख तत्व
- अपहरण: किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध ले जाना या उसे दूर ले जाने का प्रयास करना।
- बहकाना: महिला को झूठे वादों से बहकाकर उसे किसी अवांछनीय कार्य के लिए राज़ी करना।
- विवाह के लिए मजबूर करना: महिला को किसी व्यक्ति से शादी करने के लिए शारीरिक, मानसिक, या भावनात्मक दबाव डालना।
- जबरन अवैध कार्य करवाना: महिला को उसकी मर्जी के खिलाफ किसी अनैतिक या अवैध कार्य के लिए मजबूर करना।
महत्वपूर्ण न्यायिक मामले (प्रमुख केस लॉ)
- शमशेर सिंह बनाम हरियाणा राज्य
इस मामले में एक महिला का अपहरण कर उसे जबरन विवाह के लिए मजबूर किया गया था। न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि किसी भी महिला की स्वतंत्रता और इच्छा के विरुद्ध ऐसा करना उसके अधिकारों का हनन है। आरोपी को धारा 87 के तहत दोषी करार दिया गया। - सुरेश कुमार बनाम दिल्ली राज्य
इस मामले में आरोपी ने एक युवती को बहला-फुसलाकर शादी के लिए मजबूर किया। अदालत ने इसे महिला के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना और आरोपी को सजा दी। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि विवाह के उद्देश्य से बहकाना एक गंभीर अपराध है। - रवि बनाम महाराष्ट्र राज्य
इस मामले में एक लड़की को बहलाकर उसे एक अनैतिक कार्य के लिए मजबूर किया गया। अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए यह कहा कि महिला को बहकाकर या उसकी स्वतंत्रता का उल्लंघन कर किसी प्रकार का दबाव बनाना कानूनी रूप से अस्वीकार्य है।
निष्कर्ष
धारा 87 BNS के अंतर्गत महिलाओं को उनके सम्मान और अधिकारों की सुरक्षा प्रदान की जाती है। किसी भी महिला को अपहरण, बहकाकर या किसी प्रकार से दबाव डालकर विवाह के लिए मजबूर करना या अवैध कार्यों में सम्मिलित करना गंभीर अपराध है और इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है।