आत्महत्या के मामलों में बढ़ता कानून का शिकंजा: धारा 108 के नए पहलू।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 108: आत्महत्या के लिए उकसाना

परिचय: section 108 of bharatiya nyay sanhita Abetment of suicide
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, BNS) की धारा 108 आत्महत्या के लिए उकसाने (Abetment of Suicide) से संबंधित है। यह धारा ऐसे मामलों में लागू होती है जहाँ किसी व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए उकसाया जाता है। इसके तहत अपराधी को अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। यह अपराध संगीन (Cognizable), गैर-जमानती (Non-bailable) और सत्र न्यायालय (Court of Session) में विचारणीय है।


क्या है आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध?

धारा 108 के तहत, आत्महत्या के लिए उकसाना निम्नलिखित तरीकों से हो सकता है:

  1. उकसाहट: मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना देकर किसी को आत्महत्या के लिए प्रेरित करना।
  2. साजिश: दूसरों के साथ मिलकर किसी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने की योजना बनाना।
  3. मदद: आत्महत्या के कार्य में सहायता प्रदान करना।

इस अपराध को साबित करने के लिए यह दिखाना आवश्यक है कि आरोपी का कार्य इतना गंभीर था कि उसने पीड़ित को आत्महत्या के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं छोड़ा।


प्रमुख प्रकरण (केस लॉ):

  1. एम. मोहन बनाम स्टेट (2011):
    इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने का दोष साबित करने के लिए आरोपी का इरादा और पीड़ित को मजबूर करने वाला सीधा कार्य दिखाना जरूरी है।
  2. उड़े सिंह बनाम हरियाणा राज्य (2019):
    कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने को साबित करने के लिए आरोपी के कार्यों का सीधा या अप्रत्यक्ष प्रभाव दिखाना होगा, जिससे पीड़ित के पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प न रहे।

सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या (2024):

हाल के फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने को निम्नलिखित रूपों में परिभाषित किया:

  • अत्यधिक उत्पीड़न: पीड़ित को असहनीय मानसिक या शारीरिक पीड़ा देना।
  • भावनात्मक शोषण: पीड़ित को बेकार या असफल महसूस कराना।
  • धमकी: परिवार को नुकसान पहुंचाने या वित्तीय संकट पैदा करने की धमकी।
  • सार्वजनिक अपमान: झूठे आरोप लगाकर पीड़ित की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाना।

महत्वपूर्ण पहलू:

  1. कानूनी उपाय:
  • मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के तहत आत्महत्या के प्रयास को मानसिक तनाव का परिणाम मानकर इसे अपराध से बाहर रखा गया है।
  • बीएनएस की धारा 224 के अनुसार, किसी सार्वजनिक अधिकारी को मजबूर करने के लिए आत्महत्या का प्रयास करने पर एक वर्ष तक की सजा हो सकती है।
  1. सरकारी पहल:
  • किरण हेल्पलाइन: आत्महत्या की रोकथाम के लिए।
  • मनोदर्पण: छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए।
  • राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति 2022।

निष्कर्ष:

धारा 108 मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न को गंभीर अपराध मानती है। यह कानून व्यक्ति की गरिमा और सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आत्महत्या की रोकथाम के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

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