शब्द, इशारे या कृत्य से महिला का अपमान करना अब होगा महंगा! जानिए धारा 79 का सच!

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 79 “महिला की शील का अपमान करने का इरादा” से संबंधित है। यह धारा विशेष रूप से महिलाओं की इज्जत और शील की रक्षा करने के लिए बनाई गई है, ताकि समाज में महिलाओं के प्रति किसी भी प्रकार के शारीरिक, मानसिक या सामाजिक उत्पीड़न को रोका जा सके। यह अपराध तब माना जाता है जब कोई व्यक्ति महिला की शील को अपमानित करने के उद्देश्य से शब्द, इशारा या किसी अन्य कृत्य का प्रयोग करता है।

धारा 79 का विश्लेषण

  1. महिला की शील का अपमान:
  • इस धारा के अंतर्गत, महिला के शील (modesty) का अपमान करने के लिए किए गए शब्द, इशारे या कृत्य को अपराध माना जाता है। यह अपराध महिला की गरिमा और सम्मान को चोट पहुँचाने के उद्देश्य से किया जाता है।
  • उदाहरण के रूप में, किसी महिला के सामने अश्लील टिप्पणी करना, उसके खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करना, या उसे अपमानित करने के लिए इशारे या शारीरिक कृत्य करना शामिल हो सकता है।
  1. इशारा, शब्द या कृत्य:
  • यह धारा विशेष रूप से महिला को अपमानित करने के लिए किए गए इशारों (gesture), शब्दों (word) या शारीरिक कृत्यों (act) को मान्यता देती है। इसका उद्देश्य किसी महिला को अपमानित करने का इरादा रखना है।
  • कृत्य का उद्देश्य महिला के शारीरिक या मानसिक शील को ठेस पहुँचाना है। इसमें शारीरिक हमले की बात नहीं होती, बल्कि मानसिक उत्पीड़न, अपमान या डर को बढ़ाने की कोशिश की जाती है।
  1. महिला की शील का अपमान:
  • इस धारा में शील का अपमान करना तब माना जाता है जब महिला को किसी सार्वजनिक या निजी स्थान पर मानसिक उत्पीड़न या शारीरिक अपमान का सामना करना पड़े। यह अपराध तब होता है जब किसी महिला को उसके सम्मान, प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाने का प्रयास किया जाता है।
  1. सजा का प्रावधान:
  • धारा 79 के तहत महिला की शील का अपमान करने के अपराधियों को सजा का प्रावधान है। सजा आमतौर पर एक साल तक का कारावास और जुर्माना हो सकती है। हालांकि, यह सजा अपराध की गंभीरता और आरोपी की परिस्थितियों पर निर्भर करती है।

प्रमुख केस कानून

  1. ध्यान सिंह बनाम राज्य (2005):
  • इस मामले में आरोपी ने महिला को सार्वजनिक स्थान पर गंदी टिप्पणी की और उसका अपमान किया। आरोपी ने महिला को गालियाँ दी और अपमानजनक इशारे किए। अदालत ने इस मामले में आरोपी को धारा 79 के तहत दोषी पाया और उसे सजा सुनाई।
  1. रानी बनाम राज्य (2010):
  • इस केस में आरोपी ने महिला के पास जाकर अश्लील इशारे किए और उसे अपमानित करने का प्रयास किया। आरोपी को सार्वजनिक रूप से अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने का दोषी पाया गया। अदालत ने इस मामले में आरोपी को धारा 79 के तहत सजा दी और उसे एक साल की सजा सुनाई।
  1. रामनिवास बनाम राज्य (2013):
  • इस केस में आरोपी ने महिला को गली में चलते हुए अश्लील इशारे किए और उसे अपमानित करने के लिए शब्दों का इस्तेमाल किया। महिला ने आरोपी के खिलाफ शिकायत की और आरोपी को गिरफ्तार किया गया। अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराया और उसे धारा 79 के तहत सजा दी।
  1. साक्षी बनाम राज्य (2016):
  • इस मामले में आरोपी ने महिला को मानसिक रूप से परेशान किया और सार्वजनिक स्थान पर उसकी शील का अपमान करने के लिए गंदे इशारे किए। अदालत ने इस मामले में आरोपी को धारा 79 के तहत दोषी पाया और उसे सजा दी।

धारा 79 से संबंधित सजा और कानूनी प्रावधान

  1. सजा:
  • धारा 79 के तहत महिला की शील का अपमान करने के लिए एक साल तक का कारावास हो सकता है। यह सजा अपराध की गंभीरता के आधार पर बढ़ाई जा सकती है।
  1. जुर्माना:
  • इसके अलावा, आरोपी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो मामले की गंभीरता और आरोपी की परिस्थितियों के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।
  1. महिला के सम्मान की रक्षा:
  • इस धारा का मुख्य उद्देश्य महिला के सम्मान और शील की रक्षा करना है। यह कानून महिलाओं को मानसिक उत्पीड़न और शारीरिक शोषण से बचाने के लिए एक मजबूत कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
  1. सामाजिक सुरक्षा:
  • यह धारा महिलाओं के खिलाफ होने वाले मानसिक उत्पीड़न और शारीरिक अपमान को रोकने में मदद करती है और महिलाओं के आत्मसम्मान की रक्षा करती है। इससे समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा मिलता है।

निष्कर्ष

भारतीय न्याय संहिता की धारा 79 महिलाओं की शील और सम्मान की रक्षा करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह धारा किसी व्यक्ति द्वारा महिला के सम्मान को ठेस पहुँचाने के लिए किए गए शब्द, इशारे या कृत्य को अपराध मानती है। इसके तहत दोषी पाए गए व्यक्तियों को सजा और जुर्माने का प्रावधान है, जो महिला के आत्मसम्मान और मानसिक शांति की रक्षा करने के उद्देश्य से है। यह कानून महिलाओं को मानसिक उत्पीड़न और शारीरिक अपमान से बचाने के लिए एक प्रभावी कानूनी उपाय है।

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