कर्नाटक हाईकोर्ट के एक ताजा फैसले में बेंगलुरु टर्फ क्लब (बीटीसी) को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने क्लब को रेस और सट्टेबाजी आयोजित करने की अनुमति दे दी है. हालांकि, ये राहत फिलहाल के लिए ही है, क्योंकि अभी भी इस मामले में कई पेच हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला और कोर्ट के फैसले की खास बातें.
रेस लाइसेंस और सट्टेबाजी लाइसेंस को लेकर हुआ था विवाद
बीते जून महीने में कर्नाटक सरकार के गृह विभाग और वित्त विभाग ने बेंगलुरु टर्फ क्लब को रेस और सट्टेबाजी आयोजित करने के लिए लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था. सरकार के इस फैसले के खिलाफ बीटीसी सीधे कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंच गया था.
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हाईकोर्ट ने माना- लाइसेंस देने से पहले नहीं दिया गया पर्याप्त मौका
हाईकोर्ट ने बीटीसी की याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि राज्य सरकार के दोनों विभागों ने क्लब को लाइसेंस देने से इनकार करने से पहले उसे पर्याप्त मौका नहीं दिया. साथ ही कोर्ट ने पाया कि सरकार द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस में भी पूरी जानकारी नहीं दी गई थी.
जज का कहना- ये प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है
हाईकोर्ट के जस्टिस एसआर कृष्ण कुमार ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार के विभागों के आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हैं. उन्होंने कहा कि, “इन आदेशों में बीटीसी को पर्याप्त और उचित मौका नहीं दिया गया और न ही कारण बताओ नोटिस में पूरी जानकारी दी गई. ये प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है और कोर्ट इस मामले में दखल दे सकती है.”
अनुमति फिलहाल के लिए, आगे सुनवाई जारी रहेगी
हाईकोर्ट ने बीटीसी को रेस और सट्टेबाजी की अनुमति तो दे दी है, लेकिन ये अनुमति फिलहाल के लिए ही वैध है. कोर्ट ने इस मामले में आगे की सुनवाई जारी रखने का भी आदेश दिया है. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राज्य सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती दे सकती है.
इस फैसले के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं
बेंगलुरु टर्फ क्लब को हाईकोर्ट से मिली इस राहत के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. अगर हाईकोर्ट का ये फैसला बरकरार रहता है तो ना सिर्फ बेंगलुरु में बल्कि पूरे कर्नाटक राज्य में घुड़दौड़ और घुड़दौड़ से जुड़ी सट्टेबाजी फिर से शुरू हो सकती है. हालांकि, अभी इस पर अंतिम फैसला होना बाकी है.
इस फैसले से जुड़े कुछ अहम सवाल
इस मामले से जुड़े कुछ अहम सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं. जैसे:
- क्या राज्य सरकार हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देगी?
- अगर हां, तो क्या उच्च न्यायालय हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखेगा?
- क्या भविष्य में बीटीसी को रेस और सट्टेबाजी का लाइसेंस दिया जाएगा?
इन सवालों के जवाब आने वाले समय में ही मिल पाएंगे. फिलहाल, बेंगलुरु टर्फ क्लब और घुड़दौड़ के शौकीनों के लिए हाईकोर्ट का ये फैसला एक बड़ी जीत है.