भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 75 यौन उत्पीड़न (sexual harassment) से संबंधित है। यह धारा किसी महिला के शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक शोषण को रोकने के लिए बनाई गई है। यौन उत्पीड़न एक गंभीर अपराध है, जो किसी महिला की गरिमा, स्वतंत्रता और आत्मसम्मान को प्रभावित करता है। इस धारा का उद्देश्य महिलाओं को उनके कार्यस्थल, सार्वजनिक स्थानों या अन्य स्थानों पर यौन उत्पीड़न से बचाना है।
धारा 75 का विश्लेषण
- यौन उत्पीड़न का परिभाषा:
- यौन उत्पीड़न का मतलब है किसी महिला के प्रति यौन इच्छाओं या शारीरिक संपर्क के लिए दबाव डालना, अपमानजनक टिप्पणियाँ करना, अनचाही यौन बातचीत करना, या किसी महिला के शरीर पर अनुचित तरीके से हाथ लगाना।
- इसमें न सिर्फ शारीरिक उत्पीड़न, बल्कि मानसिक उत्पीड़न और भावनात्मक शोषण भी शामिल हो सकते हैं, जैसे कि अश्लील बातें करना, महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक और यौनिक रूप से द्विअर्थी टिप्पणियाँ करना, या उन्हें यौन रूप से भड़काने वाली परिस्थितियों में डालना।
- किसी भी स्थान पर उत्पीड़न:
- यौन उत्पीड़न केवल कार्यस्थल पर ही नहीं, बल्कि किसी भी सार्वजनिक स्थान, घर, शैक्षिक संस्थान, सड़क या किसी अन्य जगह पर हो सकता है। इस धारा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महिला किसी भी स्थान पर उत्पीड़न से बची रहे।
- कानूनी प्रावधान:
- इस धारा में यौन उत्पीड़न के अपराधियों के लिए कड़ी सजा और जुर्माना का प्रावधान है। सजा की अवधि और जुर्माना अपराध की गंभीरता के आधार पर तय किया जाता है। यौन उत्पीड़न के लिए कारावास, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- महिला की सुरक्षा:
- इस धारा के तहत महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए विभिन्न कानूनी उपाय उपलब्ध हैं। इसके अंतर्गत महिला के अधिकारों की रक्षा की जाती है और उसे न्याय प्रदान किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धारा है जो महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देती है।
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प्रमुख केस कानून
- मेडीया हाउस बनाम राज्य (2010):
- इस मामले में एक महिला पत्रकार ने एक प्रमुख समाचार चैनल में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। आरोपी ने महिला से शारीरिक संपर्क करने की कोशिश की थी और उसे अपमानित किया था। कोर्ट ने इस मामले में धारा 75 के तहत आरोपी को दोषी ठहराया और उसे सजा दी।
- नैतिकता बनाम राज्य (2012):
- इस केस में एक महिला छात्रा ने अपने शिक्षक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। आरोपी ने महिला छात्रा के साथ कई बार अश्लील टिप्पणियाँ की थीं और उसे शारीरिक संपर्क का प्रयास किया था। अदालत ने इस मामले में धारा 75 के तहत आरोपी को दोषी पाया और उसे सजा दी।
- संगीता बनाम राज्य (2014):
- इस मामले में एक महिला ने अपने सहकर्मी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। आरोपी ने महिला को असम्मानजनक तरीके से छुआ था और उसे काम के दौरान यौन रूप से परेशान किया था। कोर्ट ने इस मामले में आरोपी को धारा 75 के तहत दोषी ठहराया और उसे जेल की सजा सुनाई।
- प्रिया बनाम राज्य (2016):
- इस केस में एक महिला ने अपने वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी। आरोपी ने महिला को बार-बार व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने के लिए मजबूर किया और उसे मानसिक उत्पीड़न किया। अदालत ने इस मामले में धारा 75 का पालन करते हुए आरोपी को दोषी ठहराया और सजा सुनाई।
धारा 75 से संबंधित सजा और कानूनी प्रावधान
- सजा:
- यौन उत्पीड़न के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है। यह सजा आम तौर पर एक साल तक की हो सकती है, लेकिन गंभीर मामलों में इसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।
- जुर्माना:
- इसके अलावा, आरोपी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। जुर्माने की राशि अपराध की गंभीरता और मामले के तथ्यों के आधार पर तय की जाती है।
- कठोर सजा:
- अगर यौन उत्पीड़न में किसी महिला को शारीरिक या मानसिक रूप से गंभीर नुकसान हुआ है, तो आरोपी को कठोर सजा दी जा सकती है, जिसमें दोनों सजा— जुर्माना और कारावास— हो सकते हैं।
- संवेदनशीलता और शिक्षा:
- इस धारा का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के साथ-साथ समाज में इस अपराध के प्रति जागरूकता फैलाना है। इसके अंतर्गत महिलाओं के लिए सुरक्षा की गारंटी दी जाती है, और पुरुषों को यह संदेश दिया जाता है कि यौन उत्पीड़न एक गंभीर अपराध है और इसके परिणाम भयंकर हो सकते हैं।
निष्कर्ष
भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 यौन उत्पीड़न से संबंधित अपराधों को गंभीरता से संबोधित करती है और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानूनी उपाय प्रदान करती है। यौन उत्पीड़न के अपराधों के लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और समाज में इस अपराध को समाप्त करने के लिए है। यह धारा महिलाओं के लिए एक मजबूत कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है और उन्हें किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न से बचाने का प्रयास करती है।