डॉक्टर या ड्राइवर? जानें कौन है धारा 106 के सबसे बड़े निशाने पर!

धारा 106 भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 का एक प्रावधान है, जो लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना कृत्यों के कारण हुई मौतों को संबोधित करता है। यह प्रावधान पहले मौजूद भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304ए का उन्नत संस्करण है, जिसमें लापरवाही से मृत्यु के विभिन्न मामलों को अधिक विस्तृत रूप में परिभाषित किया गया है।


धारा 106 के तहत प्रमुख प्रावधान Section 6 of BNS Causing death by negligence

  1. सामान्य लापरवाही से मृत्यु:
    यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी अन्य व्यक्ति के लापरवाह या गैरजिम्मेदाराना कार्य के कारण होती है, और यह कार्य हत्या की श्रेणी में नहीं आता, तो दोषी को अधिकतम पांच वर्ष के कारावास और जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
  2. चिकित्सा लापरवाही:
    अगर पंजीकृत चिकित्सा पेशेवर (डॉक्टर) चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान किसी गंभीर लापरवाही के कारण मृत्यु का कारण बनता है, तो उसे दो वर्ष तक के कारावास और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। यह प्रावधान चिकित्सा पेशेवरों को जिम्मेदारी से काम करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
  3. वाहन दुर्घटनाओं में लापरवाही:
  • सड़क पर लापरवाह ड्राइविंग के कारण हुई मृत्यु और उसके बाद मौके से भागने की स्थिति में दोषी को अधिकतम दस वर्ष के कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है।
  • यह प्रावधान हिट-एंड-रन मामलों पर विशेष ध्यान देता है, जो सड़क सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा हैं।

महत्वपूर्ण केस लॉ

  1. जैकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य (2005):
    सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चिकित्सा लापरवाही के मामलों को परिभाषित किया। अदालत ने कहा कि हर चिकित्सा त्रुटि को आपराधिक लापरवाही नहीं माना जा सकता। गंभीर लापरवाही और चिकित्सक की मंशा को ध्यान में रखते हुए सजा दी जानी चाहिए।
  2. राजनीश कुमार बनाम बिहार राज्य (2023):
    इस ताजा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभियुक्त की लापरवाही को साबित करने के लिए ठोस साक्ष्य आवश्यक हैं। इस फैसले में धारा 106 के प्रावधानों की व्याख्या की गई और लापरवाह ड्राइविंग के मामलों में कठोर जांच की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  3. अशोक कुमार बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2023):
    इस केस में वाहन चालक की लापरवाही से सड़क पर हुई दुर्घटना को लेकर दोषी को दस वर्ष की सजा दी गई, जिससे धारा 106 के प्रभावी कार्यान्वयन का उदाहरण मिलता है।

धारा 106 का सामाजिक और कानूनी महत्व

  • सड़क सुरक्षा:
    धारा 106 के कठोर प्रावधान सड़क पर लापरवाही से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने का एक प्रयास हैं। यह प्रावधान हिट-एंड-रन मामलों को कम करने में सहायक हो सकता है।
  • चिकित्सा क्षेत्र में सुधार:
    चिकित्सा लापरवाही के खिलाफ इस धारा का उपयोग डॉक्टरों को अधिक सावधानीपूर्वक कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। हालांकि, अदालत ने बार-बार चिकित्सकों को गैर-जरूरी कानूनी प्रक्रियाओं से बचाने की भी बात की है।
  • न्याय का विस्तार:
    धारा 106 न केवल मृतकों के परिवारों को न्याय दिलाने में मदद करती है, बल्कि लापरवाही करने वालों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास भी कराती है।

चुनौतियां और आलोचना

  1. चिकित्सकों की सुरक्षा:
    विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रावधान चिकित्सा क्षेत्र में एक डर का माहौल पैदा कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने विभिन्न फैसलों में संतुलित दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया है।
  2. प्रवर्तन की कठिनाई:
    सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में दोषियों की पहचान और उन्हें सजा दिलाने की प्रक्रिया जटिल हो सकती है।

निष्कर्ष

भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 न्यायिक और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन स्थापित करती है। यह प्रावधान लापरवाही से होने वाली मौतों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सड़क सुरक्षा और चिकित्सा लापरवाही के मामलों में इसके प्रभावी कार्यान्वयन से समाज में जागरूकता और जिम्मेदारी बढ़ाने की उम्मीद है।


संदर्भ

  1. Aaptax Law
  2. Legal Service India

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