गुपचुप तरीके से वीडियो बनाना होगा महंगा! जानिए धारा 77 के तहत सजा का प्रावधान!

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 77 “व्यूयरिज़म” से संबंधित है, जो एक गंभीर अपराध माना जाता है। यह धारा विशेष रूप से किसी व्यक्ति की गोपनीयता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करने से जुड़ी है। व्यूयरिज़म का मतलब है किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत या गुप्त क्षणों की अवैध रूप से देखना या रिकॉर्ड करना, खासकर जब वह व्यक्ति उस स्थिति में न हो जहां उसे यह जानने का मौका मिले कि उसे देखा जा रहा है।

धारा 77 का विश्लेषण

  1. व्यूयरिज़म का अर्थ:
  • व्यूयरिज़म का मतलब है किसी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना, या उसकी जानकारी के बिना उसकी निजी गतिविधियों या अंतरंग क्षणों को देखना या रिकॉर्ड करना। यह किसी भी स्थान पर हो सकता है, जैसे कि घर, सार्वजनिक स्थल या अन्य निजी स्थान।
  1. महिला या पुरुष पर अवैध नज़र:
  • इस धारा के तहत, यदि किसी व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति की गोपनीयता को अवैध तरीके से भंग किया है, तो उसे व्यूयरिज़म का अपराध माना जाएगा। उदाहरण के लिए, किसी महिला या पुरुष को शारीरिक रूप से नग्न होने या निजी स्थानों पर होने के दौरान छुपकर देखना या उसका वीडियो बनाना।
  1. प्रारंभिक दंड:
  • व्यूयरिज़म के अपराध के लिए सजा का प्रावधान है, जिसमें कारावास और जुर्माना दोनों हो सकते हैं। यह सजा अपराध की गंभीरता और अपराधी के इरादे पर निर्भर करती है। आमतौर पर, इस अपराध के लिए तीन वर्ष तक का कारावास और जुर्माने का प्रावधान होता है।
  1. गोपनीयता का उल्लंघन:
  • यह धारा व्यक्ति के गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन करने वाले अपराधों से संबंधित है। यह अपराध उस समय होता है जब किसी व्यक्ति के निजी जीवन में किसी दूसरे व्यक्ति की बिना अनुमति के घुसपैठ की जाती है।
  1. सजा का निर्धारण:
  • इस अपराध के लिए सजा आम तौर पर कारावास होती है, जो तीन वर्ष तक हो सकती है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अगर यह अपराध अधिक गंभीर होता है, तो सजा की अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है।

प्रमुख केस कानून

  1. राजेन्द्र बनाम राज्य (2011):
  • इस मामले में आरोपी ने महिला के शौचालय में घुसकर उसका वीडियो बनाया। महिला ने इस अपराध के बारे में पुलिस में शिकायत की, जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। अदालत ने इस मामले में धारा 77 के तहत आरोपी को दोषी पाया और उसे सजा सुनाई।
  1. सोनिया बनाम राज्य (2014):
  • इस मामले में आरोपी ने महिला के निजी क्षणों को कैमरे से रिकॉर्ड किया और उसे सार्वजनिक किया। महिला ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया। अदालत ने धारा 77 के तहत आरोपी को दोषी ठहराया और उसे सजा दी।
  1. विशाल बनाम राज्य (2016):
  • इस केस में आरोपी ने महिलाओं के changing room में छुपकर उनकी वीडियो बनाई थी। महिलाओं ने इसके खिलाफ पुलिस में शिकायत की और आरोपी को गिरफ्तार किया गया। अदालत ने इस मामले में धारा 77 के तहत आरोपी को दोषी ठहराया और उसे कड़ी सजा दी।
  1. पारुल बनाम राज्य (2019):
  • इस केस में एक आरोपी ने गुपचुप तरीके से महिलाओं के निजी स्थान पर जाकर उन्हें कैमरे से रिकॉर्ड किया था। आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया और अदालत ने इसे धारा 77 के तहत गंभीर अपराध माना। आरोपी को तीन साल की सजा सुनाई गई।

धारा 77 से संबंधित सजा और कानूनी प्रावधान

  1. सजा का प्रावधान:
  • इस धारा के तहत अपराधी को तीन साल तक का कारावास हो सकता है। यह सजा आरोपी के इरादे और अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है। यदि अपराध गंभीर होता है या इसमें महिला की मानसिक स्थिति को नुकसान पहुंचता है, तो सजा की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
  1. जुर्माना:
  • इसके साथ-साथ आरोपी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। जुर्माने की राशि का निर्धारण न्यायालय द्वारा किया जाता है, और यह अपराध की गंभीरता और प्रभावित व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है।
  1. महिलाओं की सुरक्षा:
  • यह धारा खासतौर पर महिलाओं के खिलाफ होने वाले इस प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए बनाई गई है। व्यूयरिज़म एक ऐसा अपराध है, जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी महिला को प्रभावित करता है। इसलिए इस धारा के तहत कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
  1. सामाजिक सुरक्षा:
  • यह धारा समाज में महिलाओं की गोपनीयता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इसके तहत आरोपियों को कड़ी सजा दी जाती है ताकि भविष्य में इस प्रकार के अपराधों को रोका जा सके।

निष्कर्ष

भारतीय न्याय संहिता की धारा 77 व्यूयरिज़म के अपराध से संबंधित है और इसका उद्देश्य किसी भी व्यक्ति की गोपनीयता और व्यक्तिगत जीवन का उल्लंघन करने से रोकना है। यह एक गंभीर अपराध है, जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से किसी भी व्यक्ति, खासकर महिलाओं, को नुकसान पहुँचा सकता है। इसके तहत सजा का प्रावधान है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है। यह धारा महिलाओं की सुरक्षा और उनके व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और समाज में इस प्रकार के अपराधों को रोकने में मदद करती है।

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