बॉम्बे हाई कोर्ट के एक ताजा फैसले ने पूरे फिल्म जगत को हिला कर रख दिया है. मशहूर फिल्म निर्माता करण जौहर किसी फिल्म के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे, जिसकी वजह बनी फिल्म का टाइटल! आइए जानते हैं पूरा विवाद और कोर्ट का फैसला –
करण जौहर vs “शादी के डायरेक्टर करण और जोहर”
बॉलीवुड के दिग्गज फिल्म निर्माता करण जौहर ने हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की. ये याचिका एक आगामी फिल्म “शादी के डायरेक्टर करण और जोहर” के खिलाफ थी. करण जौहर का दावा था कि फिल्म के टाइटल में उनके नाम का इस्तेमाल भ्रामक है. दर्शक यह गलतफहमी कर सकते हैं कि वह खुद इस फिल्म के निर्देशक हैं. उन्होंने ये भी तर्क दिया कि निर्माता उनके नाम और छवि का बिना अनुमति व्यावसायिक फायदा उठा रहे हैं.
कोर्ट का फैसला: करण जौहर की जीत
न्यायमूर्ति एस.जे. कथावाला की एकल पीठ ने करण जौहर की याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने पाया कि फिल्म का टाइटल वाकई भ्रामक है. “करण” नाम सीधे तौर पर करण जौहर से जुड़ा हुआ माना जाता है. दर्शक टाइटल देख यह सोच सकते हैं कि करण जौहर फिल्म से किसी न किसी रूप से जुड़े हैं.
कोर्ट ने माना कि निर्माताओं ने करण जौहर के नाम का इस्तेमाल अपने व्यावसायिक फायदे के लिए किया. भले ही फिल्म में कोई और “करण” निर्देशक हो, टाइटल दर्शकों को भ्रमित कर सकता है.
इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने फिल्म निर्माताओं को टाइटल बदलने का आदेश दिया. साथ ही, फिल्म के किसी भी प्रचार सामग्री में करण जौहर के नाम या छवि के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई.
फैसले के दूरगामी प्रभाव
बॉम्बे हाई कोर्ट का ये फैसला फिल्म उद्योग में किसी व्यक्ति के नाम या छवि के अनधिकृत इस्तेमाल पर बहस छिड़ गया है. ये फैसला मशहूर हस्तियों को उनके नाम और छवि के व्यावसायिक इस्तेमाल पर कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार देता है. साथ ही, फिल्म निर्माताओं के लिए भी ये एक चेतावनी है. किसी व्यक्ति के नाम या छवि का इस्तेमाल फिल्म के टाइटल या प्रचार में करने से पहले उन्हें सावधानी बरतनी होगी और जरूरी हो तो अनुमति लेनी होगी.
ये फैसला भविष्य में इसी तरह के मामलों के लिए मिसाल बन सकता है. अब फिल्म निर्माताओं को ये सुनिश्चित करना होगा कि वे किसी भी जानी-मानी हस्ती के नाम या छवि का बिना अनुमति इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.
निर्माताओं की दलीलें और भविष्य की दिशा
इस मामले में फिल्म निर्माताओं ने कोर्ट के सामने ये तर्क दिया कि टाइटल भ्रामक नहीं है. यह कहानी के दो मुख्य पात्रों के नामों को दर्शाता है. उन्होंने ये भी कहा कि फिल्म में कहीं नहीं बताया गया है कि करण जौहर फिल्म के निर्देशक हैं. हालांकि, कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया.
अब देखना ये होगा कि फिल्म निर्माता फिल्म का टाइटल कैसे बदलते हैं और क्या वो हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे. क्या ये फैसला फिल्म के रिलीज में देरी करेगा? ये आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन एक बात साफ है कि बॉम्बे हाई कोर्ट का ये फैसला फिल्म जगत में चर्चा का विषय बना रहेगा.