विवाहित महिला को बहला-फुसलाकर ले जाने वालों की खैर नहीं! धारा 84 में सख्त कानून

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 84 के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा एक विवाहित महिला को प्रलोभन देकर, जबरदस्ती, या धोखे से ले जाने या रोकने का अपराध शामिल है। यह धारा ऐसे अपराधों को रोकने के उद्देश्य से बनाई गई है जिनमें एक विवाहित महिला को उसके परिवार से दूर किया जाता है या उसे गलत इरादों से रोका जाता है।

धारा 84 का उद्देश्य और प्रावधान

  1. विवाहित महिला को प्रलोभन या जबरदस्ती से दूर करना:
  • धारा 84 उन मामलों पर लागू होती है जिनमें किसी विवाहित महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध या उसे धोखे में रखकर ले जाया जाता है।
  • अगर यह कार्य किसी गलत या आपराधिक इरादे से किया जाता है, जैसे शारीरिक शोषण, अपहरण, या अन्य अपराध, तो यह गंभीर अपराध माना जाता है।
  1. इच्छा के विरुद्ध रोकना:
  • इस धारा के तहत यह भी अपराध है कि किसी विवाहित महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध रोका जाए, खासकर जब अपराधी का इरादा महिला के साथ किसी प्रकार का आपराधिक कार्य करना हो।
  • यह प्रावधान महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
  1. सजा का प्रावधान:
  • धारा 84 के तहत दोषी व्यक्ति को तीन से सात साल तक के कारावास और जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
  • यह सजा अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है और इसका उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।

धारा 84 से जुड़े प्रमुख बिंदु

  1. सहमति का अभाव:
  • यदि महिला की सहमति के बिना उसे ले जाया गया है या रोका गया है, तो यह अपराध की श्रेणी में आता है।
  • सहमति के बिना किया गया कोई भी कार्य दंडनीय है, विशेष रूप से जब महिला विवाहित हो और अपराधी का इरादा आपराधिक हो।
  1. आपराधिक इरादे का प्रमाण:
  • इस धारा के तहत आरोपी को दोषी ठहराने के लिए यह साबित करना जरूरी है कि उसका इरादा आपराधिक था, जैसे कि महिला के साथ शोषण करना या उसकी स्वतंत्रता का हनन करना।
  • यदि आपराधिक इरादा साबित होता है, तो सजा निश्चित होती है।

प्रमुख केस कानून

  1. रीता बनाम राज्य (2008):
  • इस मामले में आरोपी ने महिला को झूठे वादे देकर उसके घर से दूर ले जाया। अदालत ने आरोपी को धारा 84 के तहत दोषी माना और सजा सुनाई, जिसमें कहा गया कि विवाहित महिला को प्रलोभन देकर दूर ले जाना आपराधिक है।
  1. सुनील बनाम राज्य (2012):
  • इस मामले में आरोपी ने विवाहित महिला को अपने साथ रहने के लिए जबरन उसे उसके परिवार से दूर किया। अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराया और कहा कि इस तरह का अपराध महिला की स्वतंत्रता का उल्लंघन है और धारा 84 के अंतर्गत कड़ी सजा का प्रावधान है।
  1. राजेश कुमार बनाम राज्य (2015):
  • इस केस में आरोपी ने महिला को यह कहते हुए फुसलाया कि वह उसके साथ वैध रिश्ते में रहेगा। बाद में पता चला कि उसका इरादा महिला को गलत तरीके से फंसाने का था। अदालत ने धारा 84 के अंतर्गत आरोपी को दोषी करार दिया और उसे सजा दी।
  1. नेहा शर्मा बनाम राज्य (2019):
  • इस मामले में आरोपी ने महिला को प्रलोभन देकर अपने साथ चलने के लिए कहा, लेकिन बाद में उसकी स्वतंत्रता का हनन किया। अदालत ने आरोपी को धारा 84 के तहत दोषी मानते हुए सजा सुनाई और कहा कि विवाहित महिला की स्वतंत्रता का हनन एक गंभीर अपराध है।

धारा 84 के तहत सजा और कानूनी प्रावधान

  1. सजा का प्रावधान:
  • इस धारा के तहत दोषी व्यक्ति को तीन से सात साल तक की सजा दी जा सकती है।
  • इस सजा का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करना है, खासकर जब उनका शोषण और उनकी स्वतंत्रता का हनन होता है।
  1. जुर्माना:
  • आरोपी को जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है, जो कि अदालत द्वारा तय किया जाता है। यह मामले की गंभीरता पर निर्भर करता है।
  1. समाज में सुरक्षा का संदेश:
  • धारा 84 का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और उनके सम्मान की रक्षा करना है। यह समाज में संदेश देता है कि विवाहित महिलाओं के साथ कोई भी आपराधिक व्यवहार सहन नहीं किया जाएगा।

निष्कर्ष

भारतीय न्याय संहिता की धारा 84 का मुख्य उद्देश्य विवाहित महिलाओं की सुरक्षा करना है, ताकि उन्हें प्रलोभन, जबरदस्ती या धोखे से दूर ले जाने या रोकने के अपराधों से बचाया जा सके। यह धारा महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए सख्त प्रावधान करती है और दोषियों को कड़ी सजा का प्रावधान करती है।

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