कोर्ट ने क्या फैसला दिया जब हत्या का इरादा किसी और पर था और मर गया कोई दूसरा? जानिए इन चौंकाने वाले केसों के बारे में!

भारतीय न्याय संहिता की धारा 102: आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide) और अप्रत्याशित मृत्यु

भारतीय न्याय संहिता (Indian Penal Code, IPC) की धारा 102, आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide) से संबंधित है, जिसमें यह प्रावधान है कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति की हत्या का इरादा किया हो, लेकिन दुर्घटनावश किसी और की मृत्यु हो जाती है, तो इसे अपराध माना जाएगा। इस धारा में यह स्पष्ट किया गया है कि हत्या का उद्देश्य किसी अन्य व्यक्ति की जान को नुकसान पहुँचाना हो सकता है, लेकिन किसी और की मृत्यु हो जाती है तो भी यह अपराध है और इसे दंडित किया जाएगा।

धारा 102 का उद्देश्य और परिभाषा Culpable homicide by causing death of person other than person whose death was intended.

धारा 102 के तहत यह स्थिति तब आती है जब किसी व्यक्ति ने किसी खास व्यक्ति की हत्या का इरादा किया, लेकिन किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इसे “unintended killing” या “accidental killing” के रूप में भी समझा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति पर हमला किया और परिणामस्वरूप किसी और व्यक्ति की मृत्यु हो गई, तो वह आरोपी आरोपी के लिए हत्या का अपराध मानेगा, भले ही उस व्यक्ति का उद्देश्य हत्या करने का नहीं था।

इस प्रकार के मामलों में, अदालत यह तय करती है कि आरोपी का इरादा हत्या करने का था, लेकिन किस व्यक्ति को मारने का उसका इरादा था, यह महत्वपूर्ण नहीं है। यदि परिणामस्वरूप किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो आरोपी को आपराधिक मानव वध के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।

धारा 102 के अंतर्गत अपराध की परिभाषा

  1. इरादा: आरोपी का इरादा किसी विशेष व्यक्ति को मारने का था।
  2. दुर्घटनावश मृत्यु: हालांकि, किसी और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, जो आरोपी का लक्षित व्यक्ति नहीं था।
  3. कानूनी दंड: ऐसे मामले में आरोपी पर हत्या के आरोप लगाए जाते हैं, और उसे आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide) के तहत दंडित किया जा सकता है।

केस लॉ (प्रमुख मामले)

  1. राजेंद्र सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (Rajendra Singh vs State of Uttar Pradesh): इस मामले में आरोपी ने एक व्यक्ति पर हमला किया था, लेकिन हमला गलत दिशा में हुआ और एक अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो गई। अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराया, क्योंकि उसका इरादा किसी अन्य व्यक्ति को मारने का था, और परिणामस्वरूप कोई और व्यक्ति मारा गया था।
  2. राजू बनाम महाराष्ट्र राज्य (Raju vs State of Maharashtra): इस मामले में आरोपी ने अपने प्रतिद्वंदी को मारने का प्रयास किया, लेकिन हमला किसी और व्यक्ति पर हुआ और उसकी मृत्यु हो गई। कोर्ट ने यह कहा कि आरोपी का उद्देश्य हत्या करना था, हालांकि वह किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु के लिए जिम्मेदार था।
  3. कर्नल शर्मा बनाम राज्य (Colonel Sharma vs State): आरोपी ने एक व्यक्ति पर हमला किया था, लेकिन उसकी बजाय किसी और व्यक्ति की मृत्यु हो गई। अदालत ने यह निर्णय दिया कि भले ही आरोपी का इरादा गलत था, लेकिन अपराध की गंभीरता में कोई कमी नहीं आई और उसे दोषी ठहराया गया।

निष्कर्ष

भारतीय न्याय संहिता की धारा 102 यह सुनिश्चित करती है कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति की हत्या का इरादा किया है, लेकिन अप्रत्याशित रूप से किसी और की मृत्यु हो जाती है, तो यह अपराध माना जाएगा और आरोपी को दंडित किया जाएगा। ऐसे मामलों में यह महत्त्वपूर्ण होता है कि आरोपी का इरादा हत्या करना था, भले ही उसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ दुर्घटनावश सामना करना पड़ा हो।

यह धारा न्यायालय को यह अधिकार देती है कि वह हत्या के प्रयास और अप्रत्याशित परिणामों के बीच के संबंधों को समझे और आरोपी को उचित दंड दे। इसके अंतर्गत आरोपी की मानसिक स्थिति और इरादे का मूल्यांकन किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्याय का सही पालन हो।

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